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धर्म के लिए बलिदान देनेवालों का इतिहास घर-घर में सिखाएं : रमेश शिंदे

जयपुर (राजस्थान) । ‘‘भारत वीर एवं बलिदानियों की भूमि है । यहां धर्म की रक्षा के लिए सिख गुरुओं ने बलिदान दिया । राजस्थान में राजपूत स्त्रियों ने जोहार कर स्वयं को अग्नि में झोंक दिया । छत्रपति संभाजी महाराज ने ४० दिन तक औरंगजेब के अत्याचार सहन किए; पर धर्म-परिवर्तन नहीं किया । पूर्वजों का यह त्याग और बलिदान भूलने के कारण दिल्ली में श्रद्धा वालकर को अपने प्राण गंवाने पडे । जहां लोग स्वधर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण भी देने के लिए तैयार रहते थे, वहां आज हमारी युवतियां एक आफताब के लिए माता-पिता को छोडकर जा रही हैं । इससे बचने के लिए हमारे पूर्वजों के बलिदान का स्मरण प्रतिदिन करने के साथ ही हिन्दुओं के घर-घर में इसकी चर्चा होनी चाहिए ।’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वे यहां के मानसरोवर स्थित अग्रसेन भवन में ‘भारत रक्षा मंच’ द्वारा ‘गुरु तेगबहादुर बलिदान दिवस’ के निमित्त आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे ।

इस समय मंच पर सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गुरुचरण सिंह गिल, मानसरोवर गुरुद्वारा के प्रधान कुलविंदर सिंह दुआ, भारत रक्षा मंच के राजस्थान प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष श्री. आर.पी. शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती संतोष अग्रवाल, राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष श्री. नटवरलाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री श्री. प्रकाश शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री श्री.रमेशचंद्र जाजोरिया, प्रदेश मिडीयामंच श्रीमती शकुन्तला विजयवर्गीय, अध्यक्ष प्रसार-प्रचार प्रमुख श्री. विश्वभूषण जी उपस्थित थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन महिलामंच संगठन प्रमुख श्रीमती मूर्ति मीना ने किया ।

सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. गुरुचरण सिंहजी ने कहा, ‘‘सर्वोच्च न्यायालय कहता है, हिन्दू धर्म एक जीवन जीने की पद्धति है; पर यह अपूर्ण है । हिन्दू धर्म यह एक जीवन दर्शन है । गुरुग्रंथसाहिब में दो बार हिन्दुस्थान शब्द का उल्लेख है, वह केवल राजनैतिक या भौगोलिक कारणों से नहीं, अपितु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कारणों से है । गुरु तेगबहादुरजी को ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है; क्योंकि उन्होंने बाबर के आक्रमण को, हिन्दुस्थान पर हुआ आक्रमण समझकर उसका विरोध किया था । एक प्रकार से वे हिन्दुस्थान की रक्षा के लिए ढाल बन गए थे । साथ ही गुरुवाणी में भारत में जागृति का प्रयास करनेवाले १५ संत एवं भक्तों का समावेश किया ।’’

इस समय भारत रक्षामंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री. लक्ष्मीनारायण शर्मा ने संगठन द्वारा किए जा रहे कार्याें की समीक्षा की तथा हिन्दू धर्म बचाने के लिए गुरु तेगबहादुर एवं छत्रपति संभाजी भोसले के बलिदान के महत्त्वपूर्ण योगदान के विषय में बताया ।

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