

मध्य प्रदेशके भोपालके गुजरात समाजमें दिनांक १६ /१७ जुन २०२४ दो दिन तक भारत रक्षा मंच अभ्यास वर्ग शुरू हुआ। सबसे पहले मंचस्थ महानुभवोंने दीप जलाए बाद प्रार्थना और भारत रक्षा मंच गीतका समूह गानके भारत माता की जय, वंदे मातरम के जयघोष के साथ कार्यक्रमकी शुरुआत की गई। बाद उपस्थित महानुभवोंको खेस पहनकर सम्मानित किया गया।
अरविंद भाई जैन ने सबका शाब्दिक स्वागत किया। बात उप
स्थित महानुभवो श्री प्रशांत कोतवाल, श्री अशोक आचार्य श्री भूषण दीवान और हमारे आदरणीय श्री सूर्यकांत खेल करने अपने उद्बोधन में बताया कि इस अभ्यास वर्ग का उद्देश्य क्या ? और आपस आपस में सहयोगके बारेमें विस्तृत विवरण किया।

दो दिनके अभ्यास वर्गमें अभ्यास वर्गको पांच भिन्न-भिन्न वर्गमें विभाजित किया गया। जैसे छत्रपति शिवाजी, वीर सावरकर, गुरु तेग बहादुर, महाराणा प्रताप, वीर भगतसिंह । सभी वर्गमें भारत रक्षा मंच के अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री, और कार्यकर्ताऐ शामिल हुए। वर्ग दरमियान प्रश्नोतरीके साथ एक दूसरेने अपनी सोचका आदान-प्रदान किया। जैसे कि संगठनकी रचना, संगठनमें अपना दायित्व क्या है ? उनकी जिम्मेदारी कैसी, अनुशासन, प्रकोष्ठके बारेमें, अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री, कार्यालय मंत्री, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्षकी कौनसी कामगिरी होनी चाहिए , उस बारेमें चर्चाएं की गई।
बाद शामके वक्त गुजरात प्रांत अध्यक्ष श्री इलेवान ठाकरकी राहबरीके दौरान जुज संख्यामें भोपाल स्थित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर माताजीके निवास स्थान पर पहुंचे। उसने हम सब की आवभगत की । साथ जो अभ्यास वर्ग चल रहा है उसके बारेमें खुशियां व्यक्त की । और सबको आशीर्वचन सुनाए।

अभ्यास वर्गके दूसरे दिन समय सारणीके अनुसार सब वर्गमें पारसपारिकता, कार्यक्रमका निर्माण, व्यक्तिसे संगठन बडा, भारत रक्षा मंचके उद्देश्य, संगठनकी प्रसिद्धिके बारेमें नियुक्त किए गए पदाधिकारीओने विस्तृत चर्चा की।
बाद आखरी सेशनमें समापनके वक्त उपस्थित महानुभव हमारे भारत रक्षा मंच के पूर्व अध्यक्ष श्री रघुनंदन शर्मा और निवृत्ति सेवा परत मनोज श्रीवास्तवको खेस, श्रीफल और शाल अर्पित करके सम्मानित किया गया। दोनों महानुभवोंने उद्बोधन किया कि यही वर्ग हमारे लिए ज्ञानका तरोतराजा करनेका हेतु, जिससे ज्ञान बढ़ता है । हमें देशके प्रति समर्पित होना आवश्यक है। हमारा भारत देश मातृभूमि, कर्मभूमि, धर्मभूमि, और जन्मभूमि है । ज्ञानपूंजकी मुड़ी हमें संतो, ऋषिमुनिओ और विचारकोके द्वारा प्राप्त हुई है। वसुदेवम कुटुंबकम भावना हमारे देशकी विशेषताएं है।धर्म हमें मानवताका संदेश देता है। वो ही सनातन है। हमारे धर्म ग्रंथो हमारे लिए प्रेरणादाई है। जननी जन्मभूमि स्वर्गदापि गरीयसी। धर्मांतरण, मतानतरण और अंध्धश्रद्धा बारेमें मार्गदर्शन दिया।
उपरोक्त अभ्यास वर्गमें अलग-अलग प्रांत गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, जम्मू, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, आसाम, दिल्ली, उत्तराखंड हरियाना, कर्नाटक, पांडिचेरी आंध्रप्रदेश, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु प्रांतके अध्यक्ष, महामंत्री, संगठनमंत्री और ज्यादातर संख्यामें कार्यकर्ताएं उपस्थित थे। कुल मिलाकर २०० कार्यकर्ताऐका रजिस्ट्रेशन हुआ।
आखिरमें प्रशांत कोतवालजी ने उपस्थित सबका शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रमका सफल संचालन उमाकांतभाई तिवारी और इलेवानभाई ठाकर ने किया। दोनों दिन तक भोजन प्रसाद और निवासका सुचारु व्यवस्था की गई थी। आखिरमें समापन मंत्रके साथ समूह देशभक्ति गान करके समग्र कार्यक्रम संपन्न हुआ जाहिर किया गया।
