भारत रक्षा मंच “सावरकर भवन” क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन

भारत रक्षा मंच के क्षेत्रीय कार्यालय सावरकर भवन का भोपाल में उद्घाटन मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर जी के द्वारा हुआ। इस अवसर पर भारत रक्षा मंच के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद श्री रघुनंदन शर्मा जी, भारत रक्षा मंच के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद श्री आलोक संजर जी, पूर्व स्थानीय विधायक श्री ध्रुव नारायण सिंह जी, मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा जी एवं श्रीमती सोनम निमाना जी,भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय मंत्री श्री हरेन्द्र सिंह जी व लगभग 220 कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

भारत रक्षा मंच ने 27 जून को देश भर के प्रमुख केंद्रों पर मनाया अपना 14 वाँ स्थापना दिवस

स्थापना दिवस कार्यक्रम दिल्ली 27 जून 2023

भारत रक्षा मंच की स्थापना 27 जून 2010 को भोपाल में आयोजित एक सेमिनार “बंगलादेशी घुसपैठ की समस्या और समाधान” के बाद में हुई थी। आज यह संगठन पूरे देश भर में फैला हुआ है और अच्छा कार्य कर रही है।

27 जून 2023 को दिल्ली सहित देश भर के सभी प्रमुख केंद्रों पर भारत रक्षा मंच द्वारा 14 वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर जी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

27-28 मई 2023 गुजरात प्रदेश अभ्यास वर्ग “सूरत” शहर में आयोजित किया गया है।

भारत रक्षा मंच द्वारा गुजरात प्रदेश के कार्यकर्ताओं के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 27,28 मई 2023 का आयोजन किया गया है जिसमें सम्पूर्ण प्रदेश (सभी जिलों) के कार्यकर्ता उपस्थित होने वाले हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कार्यकर्ताओ को प्रशिक्षित कर संगठन के कार्य को विस्तार देना है। वर्तमान समय में भारत रक्षा मंच का काम देश के सभी प्रांतों में है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंच के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सूर्यकांत केलकर, महिला प्रमुख श्रीमती बीना गोगरी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री प्रशांत कोतवाल, मंच से जुड़े हुए कई साधू सन्यासियों, गुजरात प्रान्त के अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री श्री भगवान झा, इलेवन ठाकर सहित तमाम कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया कुल उपस्थित लगभग तीन सौ के आसपास रहने की संभावना है।

भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर एक सप्ताह के नेपाल प्रवास पर।

भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर जी नेपाल के प्रमुख राजनीतिज्ञों से मुलाकात करते हुए।

भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर जी एक सप्ताह के लिए नेपाल प्रवास पर है इस दौरान नेपाल के कई राजनेताओं से उनकी मुलाकात होगी और भारत और नेपाल दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को और मजबूत करने के लिए प्रयास होंगे। श्री सूर्यकांत केलकर “नेपाल रक्षा मंच” जो भारत रक्षा मंच का ही हिस्सा है उसकी बैठक को भी नेपाल की राजधानी काठमांडू में सम्बोधित करेंगे।

भारत रक्षा मंच राजस्थान प्रदेश ने मनाया धूमधाम से हिंदू नववर्ष …!!

भारत रक्षा मंच राजस्थान प्रदेश के द्वारा 22 मार्च 2023 को जयपुर में वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर धूमधाम से हिन्दू नववर्ष का आयोजन किया गया। जिसमें काफी संख्या में जयपुर के गणमान्य नागरिक एवं भारत रक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम लक्ष्मी नारायण शर्मा जी एवं उनकी टीम के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। सफल कार्यक्रम के आयोजन हेतु राजस्थान प्रदेश के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत बहुत बधाई।

भारत रक्षा मंच की राष्ट्रीय संगठन समिति बैठक जयपुर में दिनाँक 7,8 अप्रैल 2023 को होगी।

भारत रक्षा मंच की राष्ट्रीय संगठन समिति की बैठक आगामी दिनाँक 7,8 अप्रैल 2023 को गुलाबी शहर जयपुर राजस्थान में होगी और अगले दिन अर्थात 9 अप्रैल 2023 को राजस्थान प्रदेश की स्मारिका का भी बिमोचन किया जायेगा। इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सत्यनारायण जटिया जी, भारत रक्षा मंच के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सांसद श्री रघुनंदन शर्मा जी, मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रो प्रशांत कोतवाल जी, मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सूर्यकांत केलकर जी, श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा क्षेत्रीय संगठन प्रमुख सहित संगठन के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। दो दिन चलने वाली इस बैठक में बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा होगी। दो दिवसीय इस बैठक सिर्फ अपेक्षित कार्यकर्ता ही भाग ले सकेंगें। बैठक स्थल या इस बैठक से सम्बंधित जानकारी के लिए लक्ष्मी नारायण शर्मा जी से सम्पर्क कर सकते है।

भारत रक्षा मंच के तृतीय राष्ट्रीय अधिवेशन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय स्मृति मन्दिर नागपुर में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग का प्रस्ताव रखते हुए- आशुतोष कुमार

जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर प्रस्ताव

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मंदिरों में व्यक्तिस्वतंत्रता को नहीं, अपितु धर्माचरण का ही महत्त्व होने से वस्त्रसंहिता लागू की जाए : सद्गुरु नंदकुमार

‘‘आज के समय में हिन्दू धर्म को न माननेवाले अथवा देवता के प्रति श्रद्दा न रखनेवाले आधुनिकतावादी ही व्यक्तिस्वतंत्रता के नाम पर मंदिर की वस्त्रसंहिता का विरोध करते हैं । मंदिरों में देवता के दर्शन के ळिए तंग वस्त्रों में अथवा परंपराहीन वेशभूषा में जाना, इसे हम ‘व्यक्तिस्वातंत्रता’ नहीं कहेंगे । प्रत्येक व्यक्ति को ‘अपने घर में और सार्वजनिक स्थानों पर कौनसे कपडे पहनने चाहिएं’, इसकी व्यक्तिस्वतंत्रता है; परंतु मंदिर धार्मिक स्थल होने से वहां धार्मिकता के नअुरूप ही आचरण करना पडेगा । यहां व्यक्तिस्वतंत्रता को नहीं, अपितु धर्माचरण का महत्त्व है ।’’, ऐसा मार्गदर्शन सनातन के संत सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने किया । ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ में ‘मंदिर व्यवस्थापन’ इस विषय पर किए गए विचारमंथन में ‘मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए वस्त्रसंहिता लागू की जाए !’ इस विषय पर वे मार्गदर्शन कर रहे थे ।

सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने आगे कहा कि,
१. तमिलनाडू उच्च न्यायालय ने भी ‘वहां के मंदिरों में प्रवेश करने के लिए सात्त्विक वेशभूषा होनी चाहिए’, इसे स्वीकार कर १ जनवरी २०१६ से वस्त्रसंहिता लागू की है । उसके अनुसार श्रद्धालुओं को केवल पारंपरिक वस्त्र धारण करना अनिवार्य बना दिया गया है ।

२. १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्री तिरुपति बालाजी मंदिर, केरल का विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए सात्त्विक वस्त्रसंहिता लागू हुई है ।

३. हम यह आवाहन करते हैं कि भारत के सभी मंदिर इस प्रकार से वस्त्रसंहिता लागू कर मंदिरों में धर्माचरण को प्रधानता दें ।

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विकास के नाम पर तीर्थस्थलों को पर्यटनस्थल मत बनाइए !

रामनाथी । प्राचीन काल में अंकोर वाट, हम्पी, आदि भव्य मंदिरों का निर्माण करनेवाले राजा-महाराजाओं ने उनका उत्तम व्यवस्थापन किया था । इन मंदिरों के माध्यम से गोशालाओं, अन्नछत्रों, धर्मशालाओं, शिक्षाकेंद्रों आदि चलाकर समाज की अमूल्य सहायता की जाती थी । उसके कारण ही हिन्दू समाज मंदिरों से जुडा रहता था; परंतु आज के समय में मंदिरों का इतना व्यापारीकरण हुआ है कि ये मंदिर व्यापारीक संकुल (शॉपिंग मॉल) बन चुके हैं, साथ ही विकास के नाम पर तीर्थस्थलों को पर्यटनस्थल बनाया जा रहा है । इसे रोकना आवश्यक है । इसलिए मंदिरों के न्यासियों को और पुरोहितों को मंदिरों का आदर्श व्यवस्थापन करना चाहिए । इसे करने के ळिए ‘मंदिरों का आदर्श व्यवस्थापन’ (दी टेम्पल मैनेजमेंट) यह पाठ्यक्रम चलाना चाहिए; इस विषय पर ‘हिन्दूराष्ट्र संसद’ में विचारमंथन किया गया । १३ जून को दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के दूसरे दिन ‘मंदिरों का सुव्यवस्थापन’ इस विषय पर इस हिन्दू राष्ट्र संसद में विभिन्न मंदिरों के न्यासियों, श्रद्धालुओं, अधिवक्ताओं और हिन्दुत्वनिष्ठों ने अपने अभ्यासपूर्ण विचार व्यक्त किए । अन्य मान्यवरों ने भी विचारमंथन किया । इस संसद में सभापति के रूप में भुवनेश्वर (ओडिशा) के ‘भारत रक्षा मंच’के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल धीर, उपसभापति ‘हिन्दू जनजागृति समिति’के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळजी और सचिव के रूप में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’के मध्यप्रदेश तथा राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने कामकाज देखा ।

हिन्दू समाज शरीर से हिन्दू है; परंतु उसकी भाषा अंग्रेजों की बन चुकी है । मंदिर हमारे श्रद्धा और प्रेरणा के केंद्र हैं; परंतु इन्हीं श्रद्धाओं पर आघात कर हमारे ५ लाख से अधिक मंदिरों का भंजन किया गया । अब तो मंदिरों की रक्षा करने के लिए एक व्यवस्था का निर्माण करने की आवश्यकता है । यह व्यवस्था हिन्दू जनजागृति समिति कर रही है । हमारे देश में विभिन्न स्थानों पर मंदिर हैं । ये मंदिर सद्विचारों की प्रेरणा देते हैं । जहां मंदिर होते हैं, वहां के परिसर में चैतन्य निर्माण होता है । मंदिरों के देवताओं की प्रतिदिन उपासना करते-करते श्रद्धालुओं में विद्यमान देवत्व भी जागृत होता है । उसके लिए मंदिरों में आनेवाले हिन्दू श्रद्धालुओं का एकत्रीकरण कर उन्हें धर्मशास्त्र सिखाया जाना चाहिए । विशेषरूप से छोटे बच्चे और युवकों को मंदिरों के साथ जोडने की आवश्यकता है । लोगों में नैतिकता बढने के लिए मंदिरों की आवश्यकता है ।

केवळ रामनाम का जाप करना उपयोगी नहीं है, अपितु रामकार्य में योगदान देने से भक्ति सफल होती है । योगदान न देने से भक्ति सफल नहीं होती । संतों द्वारा बताए अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने ही वाली है; परंतु हम सभी को उस कार्य में योगदान देने की आवश्यकता है ।’’

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धार्मिक स्थलों के विकास के नाम पर प्राचीन मठ-मंदिरों का विध्वंस : अनिल धीर

फोंडा (गोवा) । धार्मिक स्थलों के विकास के नाम पर प्राचीन मठ-मंदिरों को तोडा जा रहा है । स्वर्णमंदिर की भांति जगन्नाथ पुरी मंदिर के चारों ओर परिक्रमा मार्ग बनाने के प्रकल्प में ओडिशा सरकार ने अनेक प्राचीन मठ-मंदिरों को धराशायी किया । धार्मिक स्थलों का विकास नहीं, केवल परिसर का सौंदर्यीकरण हो रहा है । किसी तीर्थक्षेत्र को पर्यटन का स्थान बनाने का यह कार्य है । यदि इसे रोकना है, तो धार्मिक स्थलों से संबंधित कोई भी प्रकल्प (कार्य) आरंभ करने से पहले स्थानीय समिति गठित कर वहां के लोगों का समर्थन प्राप्त किया जाए, यह मांग ओडिशा में भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने की । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ६ अगस्त को ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत ‘मंदिररक्षा’ विषय पर उद्बोधन सत्र का आयोजन किया गया था । उस समय, ‘जगन्नाथ पुरी के मठ-मंदिरों की भूमि हडपने का सरकारी षड्यंत्र’ विषय पर वे बोल रहे थे ।

अनिल धीर के अन्य महत्त्वपूर्ण विचार
ओडिशा सरकार ने जगन्नाथ पुरी के मंदिर की परिक्रमा प्रकल्प के अंतर्गत प्राचीन लांगोडी, मंगू, बडा अखाडा जैसे बडे मठों को हिन्दुओं के विरोध की अनदेखी करते हुए ध्वस्त किया । इसके अतिरिक्त, सैकडों छोटे मठ भी तोडे । मठों की संपत्ति का कानूनी प्रमाणपत्र (डॉक्युमेंटेशन) नहीं बनाया गया । सरकार कहती है कि वहां समाजविरोधी गतिविधियां होती हैं । इस कार्यवाही में एम.आर. मठ का प्राचीन और बडा रघुनंदन ग्रंथालय भी ध्वस्त किया गया । इस ग्रंथालय में ३५ सहस्र ग्रंथ थे । इस कार्यवाही के पश्‍चात अब केवल ५ सहस्र ग्रंथ बचे हैं । शेष ग्रंथ कहां और किस स्थिति में हैं, यह कोई नहीं जानता । इस प्रकार, यह अमूल्य धरोहर लुप्त हो गई । विशेष बात यह है कि पुरी का जो मठ तोडा गया, उसके पास भगवान जगन्नाथ के धार्मिक उपचार पूजा का दायित्व था । एक मठ भगवान जगन्नाथ के लिए फूल देता था, तो दूसरा मठ औषधि अथवा अलंकार इत्यादि । भुवनेश्‍वर तथा वाराणसी में भी अनेक प्राचीन मंदिर अतिक्रमण के नाम पर तोडे गए । राजनीतिक कारणों से की जानेवाली ऐसी कार्यवाहियों से हिन्दुओं की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, वास्तुकला समाप्त हो रही है । केंद्र सरकार इस विषय में हस्तक्षेप करे, यह हमने मांग की थी ।

कोई भवन धोखादायक (अनुपयुक्त) होने पर नई तकनीक से उसका मूल स्वरूप बनाए रखकर पुनर्निमाण किया जा सकता है । परंतु, इस नियम का पालन न कर, वह सीधे गिरा दिया जाता है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है ।